Electrostatic
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Electrostatic:-
भौतिक विज्ञान कि वह शाखा जिसके अतंर्गतर्ग स्थिर आवेश के बारे मे अध्ययन किया जाता है, उसे electrostatic कहते है।
Electrostatic दो शब्दो के मेल से बना होता है। जिसमे electro का अर्थ आवेश तथा static जिसका अर्थ विराम होता है। अतः इसका शाब्दिक अर्थ स्थिरावेश होता है।
आवेश(charge):-
आवेश किसी पदार्थ का वह मूल गुण है जिनके कारण धारा का प्रवाह होता है। धारा और समय के गणु नफल को “आवेश” कहतेहै।
आवेश=धारा × समय
इसका S.I मात्रक coulmb (c) होता है।
आवेश का C.G.S मात्रक स्टेट कुलबं होता है।
आवेश का वि मा। [AT] या [IT] होता है।
आवेश एक अदिश राशि है।
आवेश के गुण:-
1.सामान प्रकृति के आवेश में प्रतिकर्षण का गणु पाया जाता है।
2.असमान प्रकृति के आवेश में आकर्षण का गणु पाया जाता है।
आवेशन की मुख्य रूप से तीन विधियां होती है:-
1. घर्षण द्वारा आवेशन:- आवेशन के इस विधि मे दो पदार्थ को आपस में रगड़कर दूर ले जाते है, जिसमें दोनों पदार्थों पर अलग अलग प्रकृति तथा समान आवेश उत्पन्न होते है, इस वि धि को घर्षण द्वारा आवेशन कहतेहै। Ex:- कांच के छड़ को रेशमी धागे से रगड़ने पर।
2. चालन द्वारा आवेशन:- आवेशन के इस विधि मे किसी एक आवेशित वस्तु को एक अन्य अनावेशित वस्तु के सपंर्क मे रहता है तो आनावेशित वस्तु पर भी आवेश आ जाता है, आवेशन के इस विधि को चालन द्वारा आवेशन कहते है।
3. प्रेरण द्वारा आवेशन:- यदि किसी आवेशित वस्तु को अनावेशित वस्तु के सपंर्क में लाया जाता है तो नजदीक वाली सतह पर विपरीत आवेश तथा दूर वाली सतह पर सामान आवेश उत्पन्न हो जाता है।
आवेश का क्वांटमीकरण:-
किसी आवेशित वस्तु पर आवेश का न्यनूतम आवेश e का पर्णू गुणज होता है इसे किसी अनिश्चित रूप से विभाजित नही किया जा सकता है। अर्थात किसी वस्तु पर
आवेश Q=+_ne होता है।
Where,
Q= charge on body
n= number of electron
e= charge on the electron
आकर्षण और प्रतिकर्षण बल के सबंध में कुलांब का नियम:-
Coulmb’s law:-
आकर्षण और प्रतिकर्षण बल के सबंध में कुलांब ने बताया कि दो स्थिर आवेशो के बीच लगने वाले बल के गणुनफल के समानुपाती तथा उनके बीच के दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
व्यजंक:-
माना की दो आवेश q₁ तथा q₂ है तथा इनके बीच की दूरी r है तथा इसपर लगनेवाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल F है।
F∝ Q₁×Q₂……………. equation-1
F∝1/r². …………….. equation-2
Equation 1. and equation 2. से
F∝ Q₁×Q₂/r²
प्रयोग द्वारा,
K=1/4π€
कुलांब के नियम के महत्व:-
1. दो आवेशों का गुणनफल शून्य होता है। तो इनके बीच प्रतिकर्षण का गणु पाया जाता है।
2. दो आवेशों का गणुनफल शून्य से छोटा होता है तो इनके बीच आकर्षण का गणु पाया जाता है।
3. कुलांब का नियम न्यटून के तृतीय गति के नियम का पालन करता है।
4. K का मान 9×10⁹Nm²/c² होता है।
5. € का मान 8.854×10-¹² C²/Nm² होता है।
6. कुलांब का नियम दो नियम बिंदु आवेश के लिए सत्य है।
7. कुलांब बल केंद्रीय तथा विद्यतु बल दोनो होता है।
8. कुलांब बल संरक्षी बल होता है।
9. 1c= 3×10⁹esu होता है।
आवेश घनत्व:-
किसी वस्तु पर आवेश, लंबाई, पृष्ट तथा आयतन पर एक समान रूप से वितरित होता है, तो उसे आवेश घनत्व कहतेहै
इसे मुख्यत: तीन भागों में बांटकर अध्यन किया जाता है:-
1. रेखीय आवेश घनत्व
2. आवेश का पृष्ट घनत्व
3. आवेश का आयतन घनत्व
1. रेखीय आवेश घनत्व:- प्रति एकांक लंबाई पर उपस्थित आवेश के परिमाण को रेखीय आवेश घनत्व कहतेहै।
λ= Q/l
इसे प्रायः λ द्वारा व्यक्त किया जाता है। इसका S.I मात्रक C/m होता है। इसका बीमा। [ATL-¹] होता है।
2. आवेश का पृष्ट घनत्व:- प्रति एकांक क्षेत्रफल पर उपस्थित आवेश के परिमाण को आवेश का पृष्ट घनत्व कहते है।
σ= Q/A
इसे प्रायः σ द्वारा सूचित किया जाता है। इसका S.I मात्रक C/m² होता है। इसका बीमा [ATL-²] होता है।
3. आवेश का आयतन घनत्व:- प्रति एकांक आयतन पर उपस्थित आवेश के परिमाण को आवेश का आयतन घनत्व कहते है।
ρ= Q/V
इसे प्रायः ρ द्वारा सूचित किया जाता है। इसका S.I मात्रक C/m³ होता है। इसका बीमा [ATL-³] होता है।
विद्युत क्षेत्र(Electric feild):-
किसी आवेश अथवा आवेश के श्रृंखला के चारो ओर उस क्षेत्र को, जहां कोई अन्य आवेश
आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का अनुभव करता है, विद्युत क्षेत्र कहलाता है।
Note:-
Source charge, positive या negative दोनो हो सकता है लेकिन test charge हमेशा positive ही लिया जाता है।
q₀= test charge
q= source charge
विद्युत क्षेत्र रेखाएं:-
विद्युत क्षेत्र में यदि कोई सूक्ष्म धन आवेश चलने के लिए स्वतंत्र हो तो जिस पथ से होकर वह चल सकते है उसी पथ को विद्युत क्षेत्र रेखा कहते है। अतः विद्युत क्षेत्र रेखा वैसा काल्पनिक वक्र होता है जिनसे होकर कोई अकेला धन आवेश चल सकता है यदि वह चलने के लिए मुक्त हो।
Electric Flux(विद्युत फलक्स):-
किसी सतह के लंबवत गुजरने वाले विद्युत बल रेखाएं के संख्या को विद्युत फलक्स कहते है।
इसे प्रायः ∅ द्वारा सूचित किया जाता है| यह एक आदिश राशि है। इसका S.I मात्रक Nm²/c या V•m होता है।
इसका बीमा [ML³T-³A-¹] होता है।
गाॅस प्रमेय(Gauss theorem):-
गाॅस प्रमेय द्वारा किसी विद्युत क्षेत्र में रखे गए किसी बंद तल से होकर गुजरने वाले कुल विद्युत फलक्स और तल के भीतर उपस्थित कुल आवेश का 1/€ गुणा होता है। जहां € मुक्त आकाश की परवैधुतता है।
∅= Q/€
वयंजक:-
d∅= E·S
∅= ∫d∅
∅= ∫ E•ds
∅= ∫ 1/4π€ •q/r²•ds
∅= 1/4π€ •q/r²•∫ds
∅= 1/4π€ •q/r²• S
∅= 1/4π€ •q/r²• 4πr²
∅= Q/€
Proved
Electrostatic with it’s full concept
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